इस संसार में और संसार के किसी भी तत्व में न सुख है न दुःख है । सुख दुख सब मन द्वारा निवेशित है प्रत्येक तत्व में ।इसीलिए शंकराचार्य जी ने कहा सत्यं ब्रह्म जगत मिथ्या । मिथ्या का अर्थ लोग कुछ और ही कर देते हैं और फिर सिद्धान्त से भटक जाते हैं ।इस संसार में जो कुछ भी...