भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।

भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।
सुख दु:ख का आभास

सुख दु:ख का आभास

मन को यह आभास एकमात्र अज्ञान के कारण होता है । गलत ज्ञान होना ,यही समस्त दुखों का कारण है । कुमति कीन्हि सब विश्व दुःखारी । एकमात्र गलत मति के कारण , अज्ञान के कारण यह सम्पूर्ण चराचर दुःखी है । हमने या हमारे मन ने जिस में सुख दुख माना होता है , वही हमें सुख और दुख...
When You Feel Low

When You Feel Low

सिर दर्द हो, थकान हो, शरीर से लेकर मन में शिथिलता हो, मन बहुत ही व्यग्र हो, आपको शांति चाहिए हो, तब एक काम कीजियेगा । अपने आस-पास कोई पुराना वृक्ष ढूँढिये । पीपल, आम, बरगद, नीम या कोई भी । पीपल या बरगद हो तो और भी अच्छा । लेकिन यह ध्यान रखिएगा कि पुराना हो । पुराना न...
सुख दु:ख का आभास

Joy Amidst Discontent

प्रश्न- सब सुख सुविधा होने पर भी हम दुखी क्यों हैं ? उत्तर- ज्यों ज्यों हम प्रकृति से दूर होते गये, त्यों त्यों अशांति, तरह तरह की व्याधियों के चपेट में आते गये l मन के साथ साथ तन भी अशांत होता चला गया lज्यों ज्यों आधुनिक होते गये त्यों त्यों हम प्रकृति की निश्चल ममता...
मन के विषय में

मन के विषय में

इस संसार में और संसार के किसी भी तत्व में न सुख है न दुःख है । सुख दुख सब मन द्वारा निवेशित है प्रत्येक तत्व में ।इसीलिए शंकराचार्य जी ने कहा सत्यं ब्रह्म जगत मिथ्या । मिथ्या का अर्थ लोग कुछ और ही कर देते हैं और फिर सिद्धान्त से भटक जाते हैं ।इस संसार में जो कुछ भी...