भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।

भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।
Place of Pilgrimage

Place of Pilgrimage

प्रश्न- वृंदावन क्या है ?उत्तर- सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन । जल्दी बुला लो मेरी स्वामिनी ।। वृन्दावन रसिकन रजधानी । जा रजधानी की ठकुरानी, महारानी राधा रानी ।। वृन्दावन, रसिकन रजधानी । जा रजधानी की ठकुरानी, महारानी राधा-रानी । जा रजधानी पनिहारिनि बनि, चारिहुँ मुक्ति भरति...
Spirituality & Environment

Spirituality & Environment

आईये जानते हैं पर्यावरण के विषय में और समझते हैं कि किस प्रकार के पर्यावरण के विषय में हमारे शास्त्रों में निरूपण है । पर्यावरण : परि + आवरण अर्थात अपने आस-पास के वातावरण जहाँ हम निवास करते हैं या वह परिवेश जो जीवन को जीने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करे l पर्यावास...
Form of Devotion

Form of Devotion

भक्ति का प्रारूप क्या है ? आजकल भक्ति का अर्थ और प्रारूप बिलकुल ही बदल गया है । चन्दन लगा लो, एक लोटा जल चढ़ा दो, अगरबत्ती से धुआँ कर दो, शनि को तेल चढ़ा दो, 4 माला जाप कर लो, घंटी बजा दो, तरह-तरह के चालीसा का पाठ कर लो, वैभव लक्ष्मी का व्रत कर लो, मंगलवार को प्रसाद चढ़ा...
About Spitiruality

About Spitiruality

दरिद्र कौन है ? अगर आपके जीवन में सब कुछ है, धन है, हर प्रकार के भोग, सुख-सुविधा तथा साधन हैं, लेकिन अध्यात्म नहीं है, तो आप दरिद्र हैं। ये आप संसार के जितने भोग-विलास या सुख के साधन देख रहे हैं, सब एक क्षण के अंदर समाप्त हो जायेंगे। और यह अध्यात्म की दरिद्रता समस्त...
मन के विषय में

मन के विषय में

इस संसार में और संसार के किसी भी तत्व में न सुख है न दुःख है । सुख दुख सब मन द्वारा निवेशित है प्रत्येक तत्व में ।इसीलिए शंकराचार्य जी ने कहा सत्यं ब्रह्म जगत मिथ्या । मिथ्या का अर्थ लोग कुछ और ही कर देते हैं और फिर सिद्धान्त से भटक जाते हैं ।इस संसार में जो कुछ भी...