कुमति कीन्हि सब विश्व दुःखारी ।
एकमात्र गलत मति के कारण , अज्ञान के कारण यह सम्पूर्ण चराचर दुःखी है ।
हमने या हमारे मन ने जिस में सुख दुख माना होता है , वही हमें सुख और दुख देता है ।
कुत्ते ने स्वर्ण में कोई सुख दुख नहीं माना है , आप उसको 1 टन सोना देकर देखिये , वह नहीं सुखी होगा ।
और एक टन सोना उससे छीन कर देखिये , तब भी वह नहीं दुखी होगा ।
क्योंकि उसके मन ने स्वर्ण में समान भाव रखा हुआ है । उसके लिए वह मिट्टी है ।
यह बात ध्यान रखिये , एक अपेल सिद्धांत :-
जिस वस्तु में जितनी मात्रा का सुख हमें मिलता है , या हमारे दिमाग मे सुख उसके प्रति बिठाया गया है , ठीक उतनी ही मात्रा का दुःख उससे हमें मिलता है ।
उस वस्तु के मिलन में जितनी मात्रा का सुख मिलेगा , उसी वस्तु के विछोह से या उसके अभाव से उतनी ही मात्रा का दुःख हमें मिलेगा ।
यह सुख दुख केवल मन द्वारा बनाया गया है ।
और बचपन से ही हमें हमारा परिवार, हमारा समाज , हमारी शिक्षा बस रात दिन पल पल हमें विभिन्न वस्तुओं में सुख दुख समझाने के लिए पल पल प्रयत्नशील हैं ।
तो यह सब मन द्वारा बनाया गया है ।
चित्तमेव हि संसारः l l
मनमेव हि संसारः ।।
Significance of Mala
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर ।। मानसिक जाप स्मरण, उनकी लीलाओं का ध्यान, उनके रूप का ध्यान, अंतःकरण में लगातार उनकी स्मृति बने रहने से श्रेष्ठ न कोई साधन था, न है और न ही बनेगा ।भगवान के यहाँ इंद्रियों की साधना या आवागमन का...
Who is God?
ईश्वर क्या है ?सम्पूर्ण संसार या सृष्टि या ब्रह्माण्ड के एक-एक जीव और जड़ से लेकर चेतन तक को नियंत्रित करने वाली शक्ति का नाम ईश्वर है। ईश्वर को हम तरह तरह के नामों से पुकारते हैं सत्य, ज्ञान, भगवान, प्रेम, आनंद इत्यादि।वेद में इसका बहुत सुन्दर निरूपण है।यस्माद्...