भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।

भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन मात्र भाई-बहनों का त्यौहार नहीं है, न यह कभी भाई-बहन का त्योहार था। यह तो कालांतर में इस तरह बन गया। यह त्यौहार विप्रों द्वारा यजमानों को रक्षा-सूत्र बाँधने से प्रारम्भ हुआ था ताकि वे अपने कर्तव्यों के प्रति वचनबद्ध रह सकें। ब्राह्मण वर्ग क्षत्रियों या यजमानों को शत्रुओं और दुष्टों से अपनी रक्षा हेतु कलावा या रक्षा सूत्र बाँधते थे और उनसे अपनी रक्षा करने का प्रण लेते थे, बदले में ब्राह्मण उन्हें राजनीति, न्याय-शास्त्र और अन्य ज्ञान से सिंचित करते थे।
रक्षा सूत्र किसी को भी बाँधा जा सकता है। भगवान, इष्टदेव, गुरु, पत्नी, पति, पुत्र, पिता या अन्य कोई भी हो जिससे आपको कोई वचन लेना हो।
वैसे भी रक्षा एकमात्र और एकमात्र भगवान और भगवद् प्राप्त महापुरुष ही कर सकते हैं। वही दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से हमारी रक्षा करने में समर्थ हैं। गुरु ही हमें शुद्ध सात्विक ज्ञान से काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, पाखंड, मद, अहंकार या माया के अनन्त रूपों इत्यादि से रक्षा करने में समर्थ है। वस्तुतः रक्षासूत्र बँधवाने के एकमात्र अधिकारी यही हैं, बाकी तो कोरा कर्मकाण्ड है।
कालांतर में यह त्यौहार भाई-बहन तक सीमित होकर रह गया । ऐसा ही होता है कि कालांतर में सिद्धांतों का लोप हो जाता है और रह जाता है बाह्य आडम्बर और लोकाचार। यही हाल हर धर्म, कर्म, मर्म, शास्त्र, प्रतीक और महापुरुषों की शिक्षाओं तक का होता है। समय बीतते-बीतते मूल बातों का लोप हो जाता है और एकमात्र प्रपंच रह जाते हैं l फिर इन्हीं की वजह से नए धर्म, सम्प्रदाय इत्यादि का जन्म होता है।
रक्षासूत्र तो इंद्राणी ने इंद्र को बाँधी थी, तो यह एकमात्र भाई-बहनों का त्यौहार होकर क्यों रह गया, यह खोज का विषय है। ये जो रानी कर्णावती का हुमायूं को राखी बाँधने की कहानी है, यह कोरी गप्प है और यहीं से शुरू हुई इस मौलिक त्यौहार को भाई-बहन तक सीमित करने की। बाजारवाद का भी बहुत बड़ा हाथ है इस त्यौहार के मूल रूप को नष्ट-भ्रष्ट करने का।
अस्तु ! आप सभी रक्षा सूत्र या वचन सूत्र या प्रतिज्ञा सूत्र किसी को भी बाँध सकते हैं भले कोई मित्र हो, पिता हो, भाई हो, देवर हो, मामा हो, चाचा हो, गुरु हो, या कोई ऐसा जिससे आपको किसी भी तरह का वचन लेना हो या अपने हितार्थ वचन लेना हो ।

रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं !

राम राघव राम राघव राम राघव पाहिमाम ।
कृष्ण केशव कृष्ण केशव कृष्ण केशव रक्षमाम ।।

रक्षा करें मायाधीश गोविन्द राधे ।
मायाधीन भैया रक्षा करें न बता दे ।।

रक्षा करें हरि गुरु गोविंद राधे ।
मायाधीन भैया रक्षा करें न बता दे ।।

बाकी का – सोई करहु जो तोहिं सुहाई ।।

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन मात्र भाई-बहनों का त्यौहार नहीं है, न यह कभी भाई-बहन का त्योहार था। यह तो कालांतर में इस तरह बन गया। यह त्यौहार विप्रों द्वारा यजमानों को रक्षा-सूत्र बाँधने से प्रारम्भ हुआ था ताकि वे अपने कर्तव्यों के प्रति वचनबद्ध रह सकें। ब्राह्मण वर्ग क्षत्रियों या यजमानों को शत्रुओं और दुष्टों से अपनी रक्षा हेतु कलावा या रक्षा सूत्र बाँधते थे और उनसे अपनी रक्षा करने का प्रण लेते थे, बदले में ब्राह्मण उन्हें राजनीति, न्याय-शास्त्र और अन्य ज्ञान से सिंचित करते थे।
रक्षा सूत्र किसी को भी बाँधा जा सकता है। भगवान, इष्टदेव, गुरु, पत्नी, पति, पुत्र, पिता या अन्य कोई भी हो जिससे आपको कोई वचन लेना हो।
वैसे भी रक्षा एकमात्र और एकमात्र भगवान और भगवद् प्राप्त महापुरुष ही कर सकते हैं। वही दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से हमारी रक्षा करने में समर्थ हैं। गुरु ही हमें शुद्ध सात्विक ज्ञान से काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, पाखंड, मद, अहंकार या माया के अनन्त रूपों इत्यादि से रक्षा करने में समर्थ है। वस्तुतः रक्षासूत्र बँधवाने के एकमात्र अधिकारी यही हैं, बाकी तो कोरा कर्मकाण्ड है।
कालांतर में यह त्यौहार भाई-बहन तक सीमित होकर रह गया । ऐसा ही होता है कि कालांतर में सिद्धांतों का लोप हो जाता है और रह जाता है बाह्य आडम्बर और लोकाचार। यही हाल हर धर्म, कर्म, मर्म, शास्त्र, प्रतीक और महापुरुषों की शिक्षाओं तक का होता है। समय बीतते-बीतते मूल बातों का लोप हो जाता है और एकमात्र प्रपंच रह जाते हैं l फिर इन्हीं की वजह से नए धर्म, सम्प्रदाय इत्यादि का जन्म होता है।
रक्षासूत्र तो इंद्राणी ने इंद्र को बाँधी थी, तो यह एकमात्र भाई-बहनों का त्यौहार होकर क्यों रह गया, यह खोज का विषय है। ये जो रानी कर्णावती का हुमायूं को राखी बाँधने की कहानी है, यह कोरी गप्प है और यहीं से शुरू हुई इस मौलिक त्यौहार को भाई-बहन तक सीमित करने की। बाजारवाद का भी बहुत बड़ा हाथ है इस त्यौहार के मूल रूप को नष्ट-भ्रष्ट करने का।
अस्तु ! आप सभी रक्षा सूत्र या वचन सूत्र या प्रतिज्ञा सूत्र किसी को भी बाँध सकते हैं भले कोई मित्र हो, पिता हो, भाई हो, देवर हो, मामा हो, चाचा हो, गुरु हो, या कोई ऐसा जिससे आपको किसी भी तरह का वचन लेना हो या अपने हितार्थ वचन लेना हो ।

रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं !

राम राघव राम राघव राम राघव पाहिमाम ।
कृष्ण केशव कृष्ण केशव कृष्ण केशव रक्षमाम ।।

रक्षा करें मायाधीश गोविन्द राधे ।
मायाधीन भैया रक्षा करें न बता दे ।।

रक्षा करें हरि गुरु गोविंद राधे ।
मायाधीन भैया रक्षा करें न बता दे ।।

बाकी का – सोई करहु जो तोहिं सुहाई ।।