भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।

भज गोविंदं भज गोविंदं
गोविंदं भज मूढ़मते।

हमारे त्यौहार

रक्षाबंधन
होली
विजय दशमी/ दशहरा
तुलसीदास जी की जयंती
परशुराम जयंती

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन मात्र भाई-बहनों का त्यौहार नहीं है, न यह कभी भाई-बहन का त्योहार था। यह तो कालांतर में इस तरह बन गया। यह त्यौहार विप्रों द्वारा यजमानों को रक्षा-सूत्र बाँधने से प्रारम्भ हुआ था ताकि वे अपने कर्तव्यों के प्रति वचनबद्ध रह सकें। ब्राह्मण वर्ग क्षत्रियों या यजमानों को शत्रुओं और दुष्टों से अपनी रक्षा हेतु कलावा या रक्षा सूत्र बाँधते थे और उनसे अपनी रक्षा करने का प्रण लेते थे, बदले में ब्राह्मण उन्हें राजनीति, न्याय-शास्त्र और अन्य ज्ञान से सिंचित करते थे।

होली

होली, एक ऐसा त्यौहार जो प्रेम, सौहार्द्र और बुराई पर अच्छाई के विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है, उसे धीरे-धीरे ऐसी कालिख़ पोत दी गयी कि उसका मूल अर्थ कहीं खो गया और इस त्यौहार में अश्लीलता, अभद्रता ने अपना परचम लहरा दिया ।
भक्त प्रहलाद के बच जाने, बुआ होलिका के जल जाने के कारण अर्थात भक्ति विजय दिवस के रूप में मनाये जाने वाला यह त्यौहार आज अपने बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है ।

विजय दशमी/ दशहरा

रावण के विषय में:-
ज्ञानवान होना बहुत ही अच्छी बात है । शक्तिशाली होना भी बहुत ही अच्छी बात है । हर तरह के गुण होना भी बहुत अच्छी बात है, और यह सब विरलों में ही पाया जाता है ।
ज्ञान और बुद्धि या विवेक में बहुत बड़ा अंतर है ।रावण बहुत शक्तिशाली था, पर उस शक्ति का प्रयोग क्या किया उसने ? अपने ही भाई कुबेर से उसकी लंका छीन ली, एक विवाहित स्त्री को बलात् हरण किया, अहंकार और मद में इतना अंधा कि महादेव के निवास कैलाश को ही उठाने का दुस्साहस, बालि को ललकार कर उसका राज्य हड़पने की एक असफल कोशिश, अपने तेज, बल और तपोबल का सहारा लेकर लोगों पर राज करने के उद्देश्य से ब्रह्मास्त्र, चंद्रहास, नागास्त्र इत्यादि दिव्यास्त्रों का संग्रह ।

तुलसीदास जी की जयंती

आज महाकवि तुलसीदास जी की जयंती है ।
हम धर्मानुरागी और अध्यात्मानुरागी जनों के लिए ऐसे भगवद्भक्त और महापुरुष ही वीर स्वतंत्रता सेनानी हैं, जो अपने भगवदीय ज्ञान से हम अज्ञानी मायाधीन जीवों को माया की विभीषिका से बचाते हुए हमें माया के बंधनों से, अज्ञान से मुक्त करते हैं और स्वतंत्रता दिलाते हैं । जिनके महाकाव्यों, भाष्यों और वैदिक ज्ञान से परिपूर्ण भाषणों और हुंकार से हम अज्ञानी जीव अपने घोर अज्ञान की नींद से जागते हैं और माया के विकारों जैसे काम, क्रोध, मोह, मद, ईर्ष्या, लोभ, अहंकार आदि से लड़ने को उद्यत होते हुए सेनानियों की तरह साधना मार्ग में प्रवृत्त होते हैं और आत्मकल्याण करते हैं ।

परशुराम जयंती

शास्त्रों एवं शस्त्रों के ज्ञाता, जमदाग्निनंदन, भृगुकुल चन्दन, अहंकारी एवं अत्याचारी हैहयवंशी आततायियों का 21 बार नाश करने वाले, भगवान के आवेशावतार, शिवभक्त, भगवान के छठे अवतार भगवान परशुराम के प्राकट्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । भगवान परशुराम शास्त्रज्ञ, नीतिज्ञ, धर्मपालक एवं अस्त्र-शस्त्रों के स्वामी हैं । सारंग नामक दिव्य वैष्णव धनुष, विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु, श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु धारण करने के कारण यह शस्त्रों के स्वामी एवं पालक कहे जाते हैं । अमोघ शस्त्र परशु धारण करने के कारण इन्हें परशुराम कहा जाता है ।