अगर आपके जीवन में सब कुछ है, धन है, हर प्रकार के भोग, सुख-सुविधा तथा साधन हैं, लेकिन अध्यात्म नहीं है, तो आप दरिद्र हैं। ये आप संसार के जितने भोग-विलास या सुख के साधन देख रहे हैं, सब एक क्षण के अंदर समाप्त हो जायेंगे। और यह अध्यात्म की दरिद्रता समस्त दुःखों की जननी है।
नहिं दरिद्र सम दुःख जग माहीं।
संत मिलन सम सुख जग नाहीं।।
कागभुशुंडी जी गरुड़ जी के पूछने पर यही कहते हैं कि दरिद्रता ( जिसका धन से संबंध बताकर अर्थ का अनर्थ कर दिया गया है ) के समान इस संसार में कोई दुःख नहीं है। क्योंकि भले आपके पास अथाह धन संपत्ति परिवार से लेकर हर प्रकार के सुख-साधन हों, लेकिन जीवन में अगर धर्म, अध्यात्म से आप दरिद्र हैं या अध्यात्म का अभाव है, तो समझिए कि यह आपको पूरे जीवन भर दुःख देगा और मात्र यही नहीं, विभिन्न योनियों में हर प्रकार के दुःख देगा।
और संत मिलन के समान कोई सुख नहीं है। क्योंकि संतों महापुरुषों के मिलन से आपको ज्ञान प्राप्त होगा और उसी ज्ञान के बल पर आप जीवन में धन, संपत्ति इत्यादि नाशवान वस्तुएं न होने पर भी आत्मिक सुख में आनंदमग्न रहेंगे। क्योंकि गुरु या संत ही आपकी आध्यात्मिक दरिद्रता को दूर करता है जो सभी दुःखों की जननी है।
आध्यात्मिकता ही आपको जीवन दर्शन कराती है। अध्यात्म ही आपको सुख-दुःख को कैसे नियंत्रित करना है और किस परिस्थिति में मन, मस्तिष्क या चित्त को किस प्रकार से प्रभावित करना है, इसकी सीख और ज्ञान देता है। मैं तो उन सबको घोर दरिद्र समझता हूँ जो इस आध्यात्मिक सम्पदा से विहीन हैं।
इसलिए अब भी देर मत कीजिये- “संत मिलन सम सुख जग नाहीं”।
कोई आध्यात्मिक पुरुष अगर आपको मिल जाये तो उसे कसकर पकड़ लीजिये क्योंकि वही आपको ज्ञान से पूरित कर उस परम सुख से मिलवा देगा जिसको प्राप्त करने के पश्चात कुछ भी प्राप्त करना शेष नहीं रह जाता।
और दूसरी विनती यह है कि-
महापुरुषों की वाणी को और वह भी परम भागवतमय कागभुशुंडी जी जैसे और स्वयं भगवान की अभिन्न शक्ति गरुड़ जी के वार्ता को अपनी मायिक बुद्धि से अर्थ न करें, वरना यहीं विभिन्न योनियों में चक्कर लगाना पड़ेगा।
इसलिए-
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
और क्या ?
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिन:।।
आध्यात्मिक गुरु के पास जाकर सच्चाई जानें। उसके प्रति श्रद्धा से पूछताछ करें और उसके प्रति सेवा प्रदान करें। ऐसा प्रबुद्ध संत ही आपको ज्ञान प्रदान कर सकता है क्योंकि उसने सत्य को देखा है।
बाकी का बस एक ही उपाय है-
भज गोविंदं भज गोविंदं गोविंदं भज मूढ़मते।
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